अंतिम विदाई (कविता)लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता -10-Mar-2022
अंतिम विदाई
विदाई जब होती है बिटिया की
तो आंखें भर ही आती है
आंसू झलक ही जाते हैं
बेटियां तो होती है पराई
यही आज तक सुनती आई
जिस आंगन में बचपन बीता
किशोरावस्था फिर नवयौवन में
कदम रखा
वही आंगन हुआ पराया
कुछ दिनों की मेहमान है बिटिया
अपने ही घर में पराई है बिटिया
ये कैसी है रीत बनाई
क्यों बिटिया की करें विदाई
नव घर में वो जाएगी
नया संसार बसाऐगी
वहां भी तो पराई ही कहलाऐगी
न मायका अपना न ससुराल अपना
एक दिन अंतिम विदाई जब दुनिया से हो जाऐगी
जहां पराई न कहलाएगी
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कविता झा 'काव्या कवि'
# लेखनी वार्षिक कविता प्रतियोगिता
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 05:16 PM
बहुत बेहतरीन
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Gunjan Kamal
10-Mar-2022 06:25 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Swati chourasia
10-Mar-2022 06:21 PM
Very nice 👌
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